One Nation One Election
संसद के गलियारे में वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा बहुत लंबे समय से चल रही है। कुछ सूत्रों की मानें तो वन नेशन वन इलेक्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इसी कार्यकाल में संसद के पटल पर रखा जाएगा। बताते चलें कि इस साल स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन नेशन वन इलेक्शन का जिक्र किया था। सूत्रों का मानना है कि सरकार इसको लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्र सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन की प्रतिबद्धता के अनुरूप पहले ही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर चुकी है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पहले ही सरकार को भेज दी है।
केंद्र सरकार का मानना है कि चुनाव में अत्यधिक खर्च होता है। वन नेशन वन इलेक्शन लागू होने से चुनावों में होने वाले अधिक खर्च पर अंकुश लगेगा। बार-बार चुनाव के चक्र से मुक्ति मिलेगी और चुनी हुई सरकार का ध्यान सिर्फ शासन चलाने पर केंद्रित होगा। वहींआलोचक मानते हैं कि इससे भारत की राजनीतिक विविधता खत्म हो सकती है।
वन नेशन वन इलेक्शन क्या है?
एक राष्ट्र और एक चुनाव का मतलब है कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही साथ में करायें जायें। इससे चुनावी प्रक्रिया में समय की भी बचत होगी और चुनाव में आने वाले सरकार के खर्चों पर भी अंकुश लगेगा। निर्वाचित सरकार अपने कार्यकाल के दौरान बिना किसी बाधा के काम कर सकेंगे, जिसमें जनता का हित निहित है।
पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए मजबूत वकालत की थी। उन्होंने देश को यह बताने का भरसक प्रयास किया कि लगातार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा करते हैं।
सहयोगी दलों का साथ
सरकार में वन नेशन वन इलेक्शन को संसद के पटल पर लाने से पहले अपनी सहयोगी दलों को विश्वास में लेना होगा और साथ में रखना होगा। सूत्रों का मानना है कि एनडीए का एक घटक दल जनता दल (यूनाइटेड) सरकार के इस कदम का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरे प्रमुख सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने अभी कोई मजबूत प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है वन नेशन वन इलेक्शन को संसद के पटल पर रखने से पहले एनडीए एक साथ इसके समर्थन में होगा।
विपक्ष की तरफ से प्रतिक्रिया
वहीं दूसरी तरफ वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कुछ अड़चनें भी हैं। पूर्व वित्त मंत्री की पी. चिदंबरम का कहना है कि एक राष्ट्र एक चुनाव वर्तमान संविधान के अनुसार संभव नहीं है। इसके लिए कम से कम पांच संवैधानिक संशोधनों की जरूरत पड़ेगी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास इन संवैधानिक संशोधनों के लिए लोकसभा या राज्यसभा में पर्याप्त संख्या बल नहीं है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव में कई संवैधानिक बाधाएं हैं और इसे लागू करना संभव नहीं है। इंडिया गठबंधन इस अवधारणा का विरोध करेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान
एक इंटरव्यू के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश की आम जनता इस बात से पूरी तरह सहमत है कि देश में चुनाव पर बहुत अधिक खर्च होता है। एक राष्ट्र एक चुनाव हो जाने से ऐसे खर्चों पर अंकुश लगेगा। लोकसभा चुनाव के लिए वन नेशन वन इलेक्शन भाजपा के मेनिफेस्टो में शामिल मुख्य वादों में से एक था।
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